एलॅन्स स्कूल में गणतंत्र दिवस समारोह पर शान से फहराया गया तिरंगा

*एलॅन्स स्कूल में गणतंत्र दिवस समारोह पर शान से फहराया गया तिरंगा*
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बेमेतरा : एलॅन्स पब्लिक स्कूल बेमेतरा में 75वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर बड़े हर्षोल्लास के साथ तिरंगा झंडा फहराया गया।
छात्राओं ने मुख्य अतिथि तथा गणमान्य अतिथियों का  बैज लगाकर स्वागत  किया। मुख्य अतिथि, प्राचार्य, शिक्षक, अभिभावक एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने अमर जवान शहीद वेदी‌ पर पुष्पांजलि अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी ।
विद्यालय के चेयरमैन श्री कमलजीत अरोरा द्वारा ध्वज फहराने के बाद छात्रों की परेड ने उन्हें और देश की आन-बान-शान के प्रतीक तिरंगे झंडे को सलामी दी। राष्ट्रगान गाया गया। रानी लक्ष्मी बाई प्लाटून की छात्राओं ने, अंजलि सिंह  कक्षा ग्यारहवीं (विज्ञान) के नेतृत्व में “ड्रिल प्रेजेंटेशन” प्रस्तुत किया। घुड़सवार खालिद रजा, मानव, श्रुति और नवप्रीत कौर उबेजा ने घुड़सवारी के दौरान तिरंगे को सलामी दी।
देश की एकता-अखंडता, आपसी सौहार्द और सैनिकों के शौर्य की झलक के बाद लता मंगेशकर क्लब के गीतों और नटराज क्लब के नृत्यों के माध्यम से शानदार प्रस्तुति दी गई।
कक्षा तीसरी के छात्र समरेश मोहंती और ग्यारहवीं की छात्रा साक्षी सिंह ने अंग्रेजी में भाषण दिया। वहीं कक्षा ग्यारहवीं से  अनीश चंद्राकर ने हिंदी में और कक्षा सातवीं  की काजल कुमारी ने संस्कृत भाषा में  देशभक्ति से ओत-प्रोत अपने सारगर्भित विचार व्यक्त कर दर्शकों का मन मोह लिया।
गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि स्कूल के चेयरमैन कमलजीत अरोरा ने कहा कि यह आजादी हमारे महान नायकों के संघर्ष का परिणाम है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत से पहले हमारा देश सोने की चिड़िया था। इसे ब्रिटिश शासन ने लूट लिया था। शिक्षा ही एक ऐसा मंत्र है जो उसी समृद्ध स्थिति को पुनः प्राप्त करने में मदद कर सकती है। उन्होंने कहा कि हमें चाहिए कि हम संविधान का पालन करें और उचित शिक्षा लेकर आगे बढ़ें। गणतंत्र दिवस लोगों के दिलों में उत्साह, आपसी सहयोग, भाईचारा, स्वाभिमान की भावना जागृत करता है। हमें अच्छा इंसान और सच्चा देशभक्त बनकर देश का सम्मान करना चाहिए।
प्राचार्य डॉ. सत्यजीत होता ने गणतंत्र दिवस की बधाई देते हुए कहा कि आज हमें गणतंत्र दिवस मनाते हुए गर्व महसूस करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मातृभूमि सबसे पहले है और अच्छा चरित्र जरूरी है। भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है जिसमें सभी नागरिकों के लिए समान अधिकारों और कर्तव्यों का प्रावधान है। आज स्वतंत्रता सेनानियों का दिन है। स्वतंत्रता सेनानियों की आकांक्षा के अनुरूप भारत का निर्माण ही उनके प्रति सार्थक श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने कहा कि राम राज्य लाने के लिए विभिन्न समुदायों, धर्मों और राजनीतिक दलों के बीच विवाद के कारण अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के दौरान भारत के सभी समुदाय के लोगों द्वारा जय सिया राम नहीं कहा गया। पुरूषोत्तम श्री राम का मूल्य समझे बिना हम राम राज्य कैसे बनाएंगे? उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् ने स्वतंत्रता प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।” यह एक देशभक्ति गीत है जो भारत में महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है। “वंदे मातरम” वाक्यांश का संस्कृत में अनुवाद “मैं तुम्हें नमन करता हूं, मां” आनंदमठ के संत द्वारा किया गया । यह 19वीं शताब्दी में बंकिम चंद्र चटर्जी की कलम से सामने आया और पहली बार 1882 में उनके उपन्यास “आनंदमठ” में प्रकाशित हुआ। “वंदे मातरम” ने राष्ट्रवाद और देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन चलाया गया । उन्होंने कहा कि हमें अपने देश को विकसित देश बनाने के लिए विकास करना होगा। उन्होंने कहा कि ‘developed’ शब्द के प्रत्यय ‘ed’ में ‘e’ अक्षर सभी भारतीयों को देश के विकास के लिए सशक्तिकरण और शिक्षा के साथ खुद को सक्षम बनाने के लिए मार्गदर्शन करता है और ‘d’ अक्षर हमें निष्ठा और समर्पण से संविधान के निर्देशों के तहत काम करने के लिए प्रेरित करता है। “ED” का मतलब बिना किसी भेदभाव के भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय भी है। उन्होंने माता-पिता/अभिभावक, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के साथ राष्ट्रीय विकास में योगदान देने का संकल्प लिया। उनके होठों पर तिरंगा और हाथों में तिरंगा था। भारत में अनेकता में एकता है। उनके अनुसार हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी एक-दूसरे के भाई-भाई हैं। वह अपनी अंतिम सांस लेने से पहले अपने देश को विकसित देशों की श्रेणी में देखना चाहते थे। भारत एक धर्मनिरपेक्ष एवं गुट निरपेक्ष देश है। यहां सभी जाति, धर्म और कई भाषाएं बोलने वाले लोग बिना किसी भेदभाव और ईर्ष्या के रहते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से अपने पाठ्यक्रम के साथ आध्यात्मिक विकास की दिशा में कदम बढ़ाने की अपील की। इससे परिवार का विकास होगा, फिर राज्य और देश के साथ-साथ विश्व की भी प्रगति होगी। उन्होंने जी-20, नारी शक्ति वंदना, चंद्र सौर ध्रुवों में विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग, एल1 से खोखली कक्षा, एक्स-रे ध्रुवीय मीटर उपग्रह का प्रक्षेपण, गगन यान मिशन, स्थिरता के लिए जीवन आंदोलन, पर्यावरण, आयुष्मान, आजादी का अमृत महोत्सव और मेक इन इंडिया जैसे भारत की उपलब्धियों के बारे में कहा। उन्होंने देश के कमजोर लोगों के सबसे बड़े कल्याण के प्रति अपने बेहद सम्मान की बात कही।  उन्होंने अपने भाई-बहनों को आत्मनिर्भर बनाने तथा मुफ्त की चीजें स्वीकार न करने की इच्छा बताई। उन्होंने कहा कि हमारी एनईपी-2020 छात्रों को नौकरी ढूंढने वाला नहीं बल्कि नौकरी देने वाला बनाए। तभी देश में मुस्कान आएगी। उन्होंने अपना भाषण एक श्लोक के साथ समाप्त किया:
भरत्यै नमो नित्यं गणतन्त्रै नमो नमः।
स्वतन्त्रै सर्वभौमत्यं एकत्वं भ्रातृभावना संविधाने एव दृश्यते।।
कार्यक्रम का सफल मंच संचालन श्रीमती पुष्पलता पटले एवं  श्रुति सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन  अरुण कुमार पाल ने किया।
इस अवसर पर  पुष्कल अरोरा, निदेशक,  सुनील शर्मा, निदेशक, पालकगण/अभिभावक, शिक्षकगण और छात्र छात्राएँ उपस्थित थे।

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